रायपुर में घूमने की जगह जानना चाहते हैं? तो चलिए जानते हैं छत्तीसगढ़ की राजधानी की उन खास जगहों के बारे में, जहां प्रकृति, आस्था और इतिहास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
अगर आप रायपुर आ रहे हैं, तो यहां के प्राचीन मंदिरों को जरूर देखें। इसका कारण यहां के मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि यह रायपुर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का अहम हिस्सा भी हैं। यहां के मंदिरों का स्थापत्य और कला दोनों ही आकर्षक हैं, जो इतिहास की एक झलक प्रदान करते हैं। तो पढ़िए हमारे इस लेख को और जानें यहां के मंदिर के बारे में सब कुछ।
रायपुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध है। यह शहर अपने प्राचीन मंदिरों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जो इतिहास और स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। रायपुर के मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से कलचुरी काल में हुआ था और ये मंदिर 14वीं से 18वीं शताब्दी के बीच स्थापित किए गए। इन मंदिरों में धार्मिक आस्था के साथ-साथ कला और संस्कृति का गहरा मिश्रण देखने को मिलता है। रायपुर को "मंदिरों और तालाबों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहां अनेक ऐतिहासिक मंदिर और तालाब हैं जो शहर की पहचान बन चुके हैं। प्रमुख मंदिरों में सिद्धपीठ मां महामाया मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर, कंकाली मंदिर, हटकेश्वरनाथ धाम और बंजारी मंदिर शामिल हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि रायपुर की सांस्कृतिक विरासत और इतिहास को भी जीवित रखते हैं।
स्थान: रायपुर की पुरानी बस्ती
निर्माण काल: 14वीं शताब्दी, कलचुरी काल
विशेषता: 7 साल की कुंवारी कन्या द्वारा गर्भगृह का प्रथम जोत प्रज्वलित किया जाता है।
यह मंदिर रायपुर के पुरानी बस्ती में स्थित है, जो कलचुरी राजाओं की आराध्य देवी मां महामाया के चरणों में समर्पित है। यह मंदिर 14वीं शताब्दी में कलचुरी काल के दौरान बनाया गया था और इसकी स्थापत्य कला आज भी लोगों को आकर्षित करती है। मंदिर में एक विशेष परंपरा है, जिसमें गर्भगृह का प्रथम जोत 7 साल की कुंवारी कन्या द्वारा प्रज्वलित किया जाता है। यह परंपरा आज भी यहां श्रद्धालुओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से निभाई जाती है।
स्थान: कुशालपुर चौक, रायपुर
महत्व: दंतेवाड़ा के मंदिर के समकालीन
विशेषता: प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व वाला स्थल
दंतेश्वरी मंदिर रायपुर के कुशालपुर चौक में स्थित है और यह देवी मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व रखता है और इसे दंतेवाड़ा की मां दंतेश्वरी के मंदिर के समकालीन माना जाता है। मान्यता है कि यह मंदिर दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी की स्थापना के समय ही बनाया गया था। यह मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
स्थान: रायपुर की पुरानी बस्ती
निर्माण काल: नागा साधुओं के समय
विशेषता: कंकाली तालाब और सुरंग का रहस्य
कंकाली मंदिर रायपुर की पुरानी बस्ती में स्थित है और यह देवी मंदिरों का महत्वपूर्ण स्थल है। इस मंदिर का निर्माण नागा साधुओं के समय में हुआ था और इसमें एक सुरंग भी है जो बूढ़ा तालाब के पास स्थित किले तक जाती है। मान्यता है कि राज परिवार के लोग इस सुरंग के माध्यम से मंदिर में आकर कंकाली माता के दर्शन किया करते थे। यहां का कंकाली तालाब भी धार्मिक और रहस्यमय महत्व रखता है।
स्थान: चंदखुरी, रायपुर
महत्व: श्रीराम की माता कौशल्या को समर्पित भारत का एकमात्र मंदिर
विशेषता: धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
कौशल्या मंदिर रायपुर के चंदखुरी में स्थित है, जो भारत का एकमात्र मंदिर है जो श्रीराम की माता कौशल्या को समर्पित है। यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां के दर्शन से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।
स्थान: शिवरीनारायण, रायपुर से 120 किलोमीटर दूर
महत्व: भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर
विशेषता: प्राचीन स्थापत्य और धार्मिक आस्था का प्रतीक
लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर रायपुर से 120 किलोमीटर दूर शिवरीनारायण में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और प्राचीन काल से ही धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां के दर्शन से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।
स्थान: रायगढ़ जिले के खैरगढ़
महत्व: भगवान जगन्नाथ को समर्पित मंदिर
विशेषता: धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
जगन्नाथपुर मंदिर रायगढ़ के खैरगढ़ में स्थित है, जहां भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है। यह मंदिर धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है और यहां पर त्योहारों के दौरान विशेष श्रद्धालु उमड़ते हैं।
स्थान: रायपुर
निर्माण काल: 1610 ईस्वी, कलचुरी काल के दौरान
विशेषता: प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व वाला स्थल
दूधाधारी मंदिर रायपुर के पुराने और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। इसे 1610 ईस्वी में कलचुरी काल के दौरान बनाया गया था और यह धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है। यहां के दर्शन से श्रद्धालुओं को मानसिक शांति का अनुभव होता है।
स्थान: रायपुरा, रायपुर
महत्व: स्वयंभू शिवलिंग के साथ प्रमुख मंदिर
विशेषता: प्राचीन स्थापत्य और धार्मिक आस्था का प्रतीक
हटकेश्वरनाथ धाम मंदिर रायपुर के रायपुरा में खारुन नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर स्वयंभू शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है और 14वीं शताब्दी में राजा हाजी राज ने इसका निर्माण कराया था। यहां के दर्शन से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव होता है।
स्थान: तात्यापारा चौक और गोल बाजार, रायपुर
महत्व: भोसले राजाओं के शासनकाल का प्राचीन मंदिर
विशेषता: प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व वाली मूर्तियाँ
हनुमान मंदिर रायपुर के तात्यापारा चौक और गोल बाजार में स्थित है। यह मंदिर भोसले राजाओं के शासनकाल में बना था और इसकी मूर्ति प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व रखती है। यह मंदिर धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
स्थान: रायपुर की पुरानी बस्ती
महत्व: कलचुरी काल के समय में निर्मित मंदिर
विशेषता: रायपुर की धार्मिक पहचान का हिस्सा
शीतला माता मंदिर रायपुर के पुरानी बस्ती में स्थित है और यह कलचुरी काल के दौरान निर्मित हुआ था। यह मंदिर भी रायपुर की पहचान के रूप में जाना जाता है और यहां के दर्शन से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।
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